Deepawali दिवाली आती है हर साल, बदल देती है मौसम का हाल, हवा भी चलती ठंडी ठंडी, खुशबू जिसमें भीनी भीनी, दिये भी सजते हर घर सुंदर, चमके झालर ऐसी सुंदर, सजे है रात अमावस की काली, हर दीपक है जैसे एक महाबली, दूर करे जग का अंधियारा, मेरा दीपक कभी ना हरा, सच्चाई की जीत हुई और, हार हुई बुराई की, एक एक दीपक लड़े लड़ाई, देखो सब दिवाली आई । नलिन वाधवा आयु: 12 वर्ष

DEEPAWALI

दिवाली आती है हर साल,
बदल देती है मौसम का हाल,
हवा भी चलती ठंडी ठंडी,
खुशबू जिसमें भीनी भीनी,
दिये भी सजते हर घर सुंदर,
चमके झालर ऐसी सुंदर,
सजे है रात अमावस की काली,
हर दीपक है जैसे एक महाबली,
दूर करे जग का अंधियारा,
मेरा दीपक कभी ना हरा,
सच्चाई की जीत हुई और,
हार हुई बुराई की,
एक एक दीपक लड़े लड़ाई,
देखो सब दिवाली आई ।

नलिन वाधवा
आयु: 12 वर्ष

Kanha

कान्हा

जन्म हुआ जब कान्हा जी का,

सबके कष्ट मिटाने को,

मां बाबा ने कष्ट सहा तब,

दुनिया के संताप मिटाने को।

कष्ट तो सहना निश्चित ही है,

अगर चाहिए जीवन में सुख,

जो सह लेता है इस दुख को,

मिल जाते हैं उसको कृष्ण।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं

नलिन वाधवा

आयु: 11 वर्ष

3 अक्टूबर 2018

Taj Mahal

ancient architecture asia building

ताजमहल

यह ही है वह एक मीनार,

जहां छुपा है किसी का प्यार,

संगमरमर का है इसका पत्थर,

करी नक्काशी जिस पर सुंदर,

कहते हैं इसको एक अजूबा,

प्यार मिलेगा कहां पर ऐसा,

है यह देखने मैं अति सुंदर,

अमर प्रेम है इसके अंदर,

यह तो है मोहब्बत की गजल,

नाम है जिसका ताजमहल।

नलिन वाधवा

मेरी आज़ादी

कोई पूछे हम बच्चों से

आज़ादी है क्या बंधन से

हम तो कहते नया हो बचपन

वैसा हो जो होता बचपन

हम भी खेलें सब बच्चों संग

हम भी चाहें लड़ना संग संग

संग में पढ़ना

संग में लिखना

संग संग में सबके चलना

जो है चाहत मेरे मन की

वो मुझको लगती आज़ादी

नलिन वाधवा

बचपन

वैसे तो ये है एक कहानी

पर अब तक ना किसी ने जानी

मेरा मन क्या क्या कहता है

इसमें भी एक बच्चा रहता है

नहीं समझ ये आता मुझको

किस ग़लती का हूँ मैं नतीजा

ये भी सोच रहा हूँ अक्सर

जीवन आसान हो सकता था

वाह रे जीवन, तेरी क्या मर्ज़ी

बच्चों से कैसी ख़ुदगर्ज़ी ?

ये मत समझो कमज़ोर हैं हम

अलग हैं पर पुरज़ोर हैं हम

हम में भी हैं कई कला

हम तो हैं एक प्यारी सी बला

नहीं डरेंगे किसी से हम

जीवन में आये जो भी ग़म।

( उन सभी बच्चों को समर्पित जो अपने जीवन में आये मुश्किलों के रुके नही , झुके नही)